भारत में कोई नही पूछता, अमेरिका जैसे देशों में लाखो में मिलती, अब जान लो ऐसा क्यों है?
भारत में 90 के दशक के पहले ही भारतीय देशी खाद का प्रचलन था और आज भी बखूबी चल रहा है। अब ऐसी जानकारियां सामने आ रही है जिसे सुनने और देखने के बाद आप दंग रह जाएंगे इंडियन देशी खाट (चारपाई) अब अमेरिका और अन्य देशों में भी देखने को मिल रही है. इसकी ऑनलाइन प्राइस की बात करें तो आप यकीन ही नहीं कर पाएंगे कि खाट का इतना बडा प्राइस कैसे हो सकता है। और लोग धड़ल्ले से भी खरीद रहे।
कहते हैं कि जो लोग खाट में एक बार सोते हैं या आराम करते हैं उनको काफी रिलैक्स फील होता है और खटिया में सोने के कई तरह के फायदे भी होते हैं। शायद यही कारण है कि अमेरिका जैसे तरक्की कर चुके देश भी अब इन जैसी चीजों का सहारा ले रहे हैं। ऑनलाइन स्टोर ऐमेज़ॉन में खाट की प्राइस 11,000 से भी ऊपर दर्शाई गई है ।
लोग इसे खाट को खरीद भी रहे हैं। जहां एक तरफ अमेरिका जैसे विकसित देश भारतीय देशी नुस्खे अपना रहे हैं वहीं एक तरफ हिंदुस्तान में खाट का प्रचलन भी धीरे-धीरे कम हो रहा है भारत के गांवों में अभी भी खाट को बखूबी इस्तेमाल किया जाता है। पर हिंदुस्तान के बड़े-बड़े शहरों में आज भी लोग विदेशियों पद्धतियों को अपनाएं है.
वही विदेशों की बात करें तो विदेशी अब हिंदुस्तान के देशी पद्धतियों को इस्तेमाल कर रहे हैं। अब ठीक उल्टा हो रहा है अब हिंदुस्तान विदेशी पद्धतियों की ओर है और विदेशी पद्धतियां अब हिंदुस्तान सभ्यता की ओर है। ऑनलाइन में खाट की सैलरी धड़ल्ले से की जा रही है विदेशों तक अब हिंदुस्तानी खाट पहुंचेंगे।
खाट,खटिया चार पाई की खोज
ऐसा बताया जाता है कि 1884 के लगभग खाट पहली बार शहरों में देखी गई थी जिसको यही तय किया गया है कि 1884 के आसपास खाट चारपाई सामने आई पर अंदाजा भी लगाया जाता है कि खाद का इस्तेमाल इससे कई वर्ष पूर्व भी होता रहा है वह तब जाकर वह शहरों में आई क्योंकि ग्रामीण अंचलों में एक हाथ का इस्तेमाल तो कई अरसो से किया जा रहा है। अब भारत में खाट चारपाई का प्रचलन कम होता जा रहा है पर वही एक बार फिर से अमेरिका जैसे विकसित देशों ने खाट चारपाई का महत्व और भी बढ़ा दिया है