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वात दोष को कैसे पहचाने, किन कारणों से होता है; क्या है उपचार

मित्रों हमारे शरीर में कई तरह के रोग हमारी आदतों के कारण होते हैं जो बाद में हमारे लिए बड़ी ही मुसीबत का कारण हो जाते हैं कुछ रोग ऐसे होते हैं जो कभी भी पीछा नहीं छोड़ते और वह एक गंभीर समस्या बन जाते हैं। अगर इन्हीं चीजों को नजरअंदाज किया जाता है तो आगे चलकर बड़ी से  बड़ी लाइलाज बीमारियां हो जाती हैं! जिससे इंसान लगातार परेशान रहता है एक ऐसी ही आम बीमारी है जो ज्यादातर लोगों में देखी जाती है. वह है वात दोष की, यह एक ऐसी जटिल बीमारी है जिसकी समस्या अगर किसी पीड़ित को हो जाती है तो वह ना जी पाता और ना ही मर पाता है. इस अभिलेख के द्वारा कुछ जानकारियां उपलब्ध कराते है। 

वात दोष अथवा वायु और आकाश इन दोनों तत्वों से मिलकर वात दोष बनता है. वात या दोष को 3 दोषों में सबसे अधिक मुख्य माना जाता है। बॉडी में गति से जुड़ी कोई भी प्रक्रिया वात का मुख्य कारण है, चरक संहिता में हवा यानी वायु ही पाचक अग्नि बढ़ाने वाला माना गया है. एवं हमारी सभी इंद्रियों को प्रेरक और उत्साह का केंद्र भी माना गया है वात का मुख्य केंद्र हमारा पेट माना गया है।

कहा जाता है कि वात अन्य के साथ बात मिलकर कार्य करता है। जैसे कि जब यह पित्त दोष के साथ मिलता है तो इसमें दाह, तथा गर्मी वाले गुण में मिलता है तो कफ, के साथ मिलता है तो इसमें शीतलता और गीलेपन जैसे गुण आ जाते हैं।

क्या गुण है।

शीतलता, लघु ,सूक्ष्म, रूखापन ,चंचलता ,चिपचिपाहट और खुरदुरा  बात के गुण हैं। रूखापन वात का स्वाभाविक कला है। जब वात संतुलित अवस्था में रहता है तो आप इसके गुणों को महसूस नहीं कर सकते। 

बढ़ने के कारण 
जब हमारे चिकित्सक जानकारी देते हैं और बताते हैं कि यह वात बड़ा कैसे है। तो हम समझ नहीं पाते कि आखिरकार ऐसा क्यों हुआ है। हालांकि हमारे खान-पान स्वभाव और आदतों की वजह से यह रोग बिगड़ जाता है और लगातार बढ़ने लगता है। इसके निम्न कारण है 

छींक को रोककर रखना, तथा मल मूत्र रोकना, हमारे द्वारा खाए भोजन के पचने से पहले ही कुछ और खा लेना, देर रात तक जागना, तेज बोलना, अपनी क्षमता से ज्यादा मेहनत करना ,सफर के दौरान गाड़ियों में तेज झटका लगना, कड़वी एवं तीखी चीजों का सेवन करना ,अत्यधिक ड्राई फ्रूट्स खाना, तथा हमेशा मानसिक और चिंताओं में रहना ज्यादा ठंडी चीजें खाना, व्रत रखना बात के मुख्य कारण होते हैं। 

इस रोग के बचाव क्या हो सकते हैं अगर आप इन्हीं आदतों में संयम लाते हैं तथा इन्हीं आदतों को अपने जीवन में सवारते हैं तो निश्चित रूप से आप इस गंभीर रोग से मुक्ति पा सकते हैं ।हालांकि इस रोग की दवाएं बाजार में बहुत प्रचलित है .पर अगर एक बार किसी को यह रोग हो जाता है तो बड़ी ही मुश्किल से छोड़ता है

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