Shivraj Singh Chauhan: मुख्यमंत्री पद से हट गए शिवराज 18 साल पहले अचानक बने थे MP के CM आगे क्या? करेंगे शिवराज
मामा भैया के नाम से जाने वाले शिवराज सिंह चौहान दुनिया में किसी भी पद से बड़े हैं उनको लोग अपना भैया और मां मानते हैं शिवराज सिंह चौहान ने 8 दिसंबर राघोगढ़ की एक सभा में इस बात से संकेत दे दिए थे कि वह इस बार मुख्यमंत्री की रेस से बाहर हैं और हुआ भी ऐसा ही 11 दिसंबर सोमवार को भाजपा विधायक दल की बैठक में मोहन यादव को मध्य प्रदेश का नया मुख्यमंत्री चुन लिया गया 17 साल में पहली बार बीजेपी ने मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा बदला है पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री रहे हैं पहली बार शिवराज 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे और 2018 तक पद पर बने रहे 2018 की विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला लेकिन मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से प्रदेश में फिर से बीजेपी की सरकार बनी थी इससे एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने थे बताओ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का 17 साल पूरा हो चुका है 1972 में मात्र 13 साल की उम्र से ही शिवराज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे फिर एबीवीपी में आ गए इमरजेंसी के दौरान शिवराज कुछ समय के लिए जेल भी गए थे।
शिवराज के करियर का पहला चुनाव
1988 में शिवराज भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने साल 1990 में शिवराज ने बुदनी सीट से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा वही प्राप्त जानकारी के अनुसार चौहान ने पूरे इलाके में पदयात्रा की और पहले ही चुनाव जीत लिया अगले साल लोकसभा चुनाव हुए भाजपा के अटल बिहारी वाजपेई ने दो सेट विदिशा और लखनऊ यूपी से लड़ा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विदिशा सीट छोड़ दी उनकी सीट छोड़ने के बाद शिवराज को विदिशा से चुनाव लड़ाया गया शिवराज यहां भी जीत गए इसके बाद शिवराज ने यहीं से 1996 1998 1999 और 2004 में भी लोकसभा चुनाव जीता 2003 में हुए एमपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को दिग्विजय सिंह के खिलाफ राघवगढ़ से उतरा उसे चुनाव में बीजेपी से उमा भारती कम का चेहरा थी और शिवराज हार गए थे शिवराज के राजनीतिक कैरियर किया पहले इकलौती हार थी।
अचानक बने एमपी के मुख्यमंत्री
2003 में बीजेपी चुनाव जीती उमा भारती मुख्यमंत्री बनी लेकिन उनका सीएम बना पार्टी के लिए आशाए भर रहा उमा भारती को विवादित बयानों से हाई कमान नाराज था इसी बीच 1994 में हुए हुबली दंगों के सिलसिले में उमा भारती के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हो गया इस कारण 8 महीने में ही उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा इसके बाद बाबूलाल गौर को मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन बाबूलाल गौर के खिलाफ पार्टी में बगावत हो गई पार्टी ने स्पीच नया चेहरा तलाश और आखिरकार 29 नवंबर 2005 को शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाया गया।
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चुनाव हारकर बने मुख्यमंत्री
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा बहुमत से दूर रह गई शिवराज ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया कांग्रेसी सरकार बनी और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने लेकिन कमलनाथ की सरकार को अभी 15 महीने भी नहीं हुए थे और पार्टी में बगावत के कारण सरकार गिर गई ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत के बाद उनके कई विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और बीजेपी की सरकार बन गई जिसके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर से बन गए 2023 में भी चुनाव से पहले ही भाजपा ने वैसे तो कई बार नेतृत्व बदलने का इशारा किया था उम्मीदवारों की लिस्ट में भी उनका नाम सबसे आखिर में आया था इसी से अंदाजा लग गया था कि शिवराज सिंह चौहान इस बार मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे ठीक वैसा ही हुआ।
अब आगे क्या करेंगे शिवराज
शिवराज सिंह चौहान के चाहने वालों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि शिवराज सिंह चौहान आगे क्या करेंगे क्या उनको केंद्र में कोई मंत्री पद मिलेगा या वह सिर्फ एक विधायक के रूप में कार्य करेंगे फिलहाल 2024 का लोकसभा चुनाव पास में है तो उन्हें अभी मध्य प्रदेश में ही रखकर प्रचार प्रसार का जिम्मा दिया जा सकता है शिवराज ने खुद कहा है कि उनका मकसद है कि लोकसभा में 29 सिम बीजेपी को जिताना है जनता के आशीर्वाद से मिशन 29 सफल होगा और मध्य प्रदेश में 29 सीटें भारतीय जनता पार्टी को प्राप्त होगी।