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G-20 : भारत को तुर्की और सऊदी अरब ने दिया धोका; भारत को बड़ा झटका

जम्मू कश्मीर में तीन दिवसीय टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक सोमवार को शुरू हो गई है। इस बैठक में 25 देशों के लगभग 150 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। पर जीत के अहम सदस्य पाकिस्तान के करीबी मित्र तुर्की और सऊदी अरब कश्मीर में आयोजित बैठक में भाग नहीं ले रहे हैं. वहीं से पूरी बात की खुशी पाकिस्तानी मीडिया नगाड़े बजा – बजा कर मना रही. सऊदी अरब और तुर्की ने इस बैठक से किनारा कर लिया है. पाकिस्तान की सरकार पिछले कई हफ्तों से मुस्लिम देशों से कश्मीर में होने वाली जी-20 की बैठक का बहिष्कार करने की जोरों शोरों से अपील कर रही थी पर इन देशों ने राजनीतिक वजह से बैठक में हिस्सा नहीं लिया  किसी अन्य वजह से यह कह पाना मुश्किल है। 

क्या है भारत के लिए निराशा

इस बैठक में सऊदी अरब और तुर्की का शामिल ना होना भारत के लिए एक झटके के निगाह से देखा जा सकता है कश्मीर में जी-20 की बैठक आयोजित कर भारत दुनिया को यह मैसेज देना चाहता है कि भारत के अभिन्न अंग है. वहीं भारत इसके जरिए कश्मीर के पर्यटन को आगे बढ़ाना चाहता है। 

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मीडिया रिपोर्ट्स के माने तो दुनिया के सबसे मजबूत क्लब जी-20 के सदस्य देशों की भागीदारी को भारत के रुख के समर्थन के तौर पर देख रहा है। भारत में 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा कर एक विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किया था. जिस पर पाकिस्तान आग बबूला हो गया था उसने भारत से अपने सभी व्यापारिक संबंध खत्म कर लिए थे. वहीं पाक ने राजनयिक संबंधों को भी कुछ हद तक सीमित कर लिया था तो वही पाकिस्तान अपने समर्थन देते हुए तुर्की ने भी अनुच्छेद 370 हटाने जाने को लेकर भारत की काफी आलोचना की थी ना कि सऊदी अरब ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर विरोध नहीं किया था सऊदी अरब जी-20 की कश्मीर में हो रही बैठक से नदारद रहना कोई सवाल खड़े कर रहा है. 

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वही तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप कई मौकों पर कश्मीर का मुद्दा उठा भी चुके हैं 24 सितंबर वर्ष 2019 को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की एक सभा को संबोधित करते हुए बोला था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय बीते 73 सालों से कश्मीर के मुद्दे को समाधान खोजने में नाकाम रही है उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान बातचीत के जरिए कश्मीर के मुद्दे को समझाए। 

चेरेपे जब फरवरी वर्ष 2020 में पाकिस्तान गए हुए थे तभी उन्होंने कश्मीर के मुद्दे को भी उठाया था उन्होंने पाकिस्तानी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए बोला था कि वह कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को अपना समर्थन देना जारी रखेंगे उन्होंने कहा कि कश्मीर जितना हम पाकिस्तान के लिए है उतना हम हमारे तुर्की के लिए भी है उनके इस बयान पर भारत में पटवार करते हुए कहा था कि तुर्की भारत के अंदरूनी मामले में कभी दखल ना दें। 

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