क्या आप जानते है? यह पक्षी दूध और पानी को अलग -अलग करने की क्षमता रखता है।
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दुनिया में विभिन्न प्रकार के पशु पक्षी पाए जाते हैं जो अपनी किसी अनोखी कला को लेकर जाने जाते हैं। जैसे कोयल अपनी मधुर आवाज के लिए जानी जाती है तो कौवा अपनी बेसुरी आवाज के लिए जाना जाता है। पर और भी ऐसे पक्षी होते हैं जो अपनी खास अनोखी कला को लेकर जाने जाते हैं, एक ऐसी ही कहावत है। की दूध और पानी को अलग अलग यह पक्षी की कर देता है। हालांकि कुछ लोग इसे मिथक मानते हैं तो कुछ लोग इसे वास्तविक मानते हैं, इस पक्षी के पास एक ऐसी कला होती है जो सभी को आश्चर्यचकित कर देता है। लोग सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि एक पक्षी भला कैसे पानी से दूध अलग कर सकता है। अगर आप नहीं जानते हैं तो चलिए हम आपको बता देते हैं कि वह कौन सा पक्षी है जो इस अनोखी कला का राजा माना जाता है।
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कौन सा है वह पक्षी
दूध में से पानी अलग और दूध को अलग करने का या अनोखा हुनर हंस के पास होता है। कहते हैं कि यह एक ऐसा पक्षी है जो दूध में मिले हुए पानी को अलग कर सकता है और दूध को भी अलग कर सकता। कुछ लोग इसे मिथक मानते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं होता। पर कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है कि एक हंस यह कारनामा करके दिखा देता है, हंस को लेकर एक और कहावत प्रचलित रहती है। हंस मोती भी चुन सकता है। हंसराज जितना प्यारा नाम है इतना प्यारा है पक्षी भी होता है इसमें अनोखी प्रतिभा होती है जिसके कारण हंस को अनोखा पक्षी माना जाता है। और ऐसा कहा जाता है कि हंस दूध में पानी अलग और दूध अलग करने की क्षमता रखता है,
हंस पक्षी क्या होता है।
हंस (Swan) अनैटिडाए कूल के जलपक्षियों के सिग्नस (Cygnus) प्रजाति के पक्षी होते हैं। मौजूदा समय विश्व में इनकी 6 जीवित जातियाँ हैं, लेकिन इसकी कई अन्य जातियाँ थीं जो अब विलुप्त हो चुकी हैं। हंस को बत्तख एवं कलहंस में जीववैज्ञानिक सम्बन्ध है, पर हंस इन दोनों से साइज में बड़े एवं लम्बी गर्दन वाले होते है. नर और मादा हंस ज्यादातर जीवन-भर के लिए जोड़ा बनाते हैं।
सुंदरता और 1 लंबी यात्रा के लिए हंस को कई सभ्यता संस्कृतियों में महत्व दिया गया है। भारतीय संस्कृतिक हिस्सों में इससे एक विवेकी पक्षी माना गया है। एक ऐसी विश्वास है कि नीर क्षीर विवेक। पानी और दूध को अलग करने वाला पक्षी माना गया है। भारत में यह विद्या की देवी सरस्वती का वाहक माना गया है। एक हंस अपने पूरे जीवन काल में एक ही बार जोड़ा बनाने के लिए भी तथा प्रेम संबंध और विवाह का प्रतीक माना गया है। भारत में इन्हें हंसराज, सरस्वती बाहर, नीर क्षीर विवेक के नाम से भी जाना जाता है,