दारोगा ने अपनी गर्लफ्रेंड से महिला थाने में रचाई शादी, पुलिसकर्मियों ने दुल्हन और दूल्हे को सजाया
भागलपुर में एक युवती ने महिला थाने में अपने प्रेमी दरोगा के साथ विवाह कर लिया इस दौरान पुलिसकर्मी ने दूल्हा और दुल्हन को सजाया तथा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को साक्षी मानकर प्रेमी ने प्रेमिका की मांग भरी.
ऐसा कहा जा रहा है कि दोनों पक्षों के बीच कुछ वर्षों से प्रेम प्रसंग चल रहा था जब प्रेमी की नौकरी लगी थी. तो जिसके बाद उसने विवाह से इंकार कर दिया था। जिसके बाद प्रेमिका ने पुलिस अधिकारियों के चक्कर काटे तथा तमाम प्रयासों के बाद आखिरकार प्रेमी मान गया अब दोनों पक्षों ने शादी कर ली.
मिली जानकारी के अनुसार भागलपुर के महिला थाने में भागलपुर एकचारी टपुआ थाना क्षेत्र के रहने वाले मनोज कुमार उर्फ गौरव वर्तमान में मुजफ्फरपुर में एक सब इंस्पेक्टर के पद पर हैं. तथा वह 4 वर्ष पहले वंदना कुमारी तथा मनोज को एक दूसरे से प्यार हो गया था. इसी बीच मनोज की नौकरी भी लग गई इसके बाद मनोज ने बंदना से विवाह करने से इंकार कर दिया।
बंदना ने अपना प्रेम पाने के लिए वरीय पुलिस अधीक्षक के दफ्तरों के चक्कर लगाए यह पूरा मामला प्रशासनिक खेमे में चर्चा का विषय बना रहा जिसके बाद अंततः प्रेमिका की जीत हुई मनोज विवाह के लिए राजी हो गया जिसके बाद भागलपुर के महिला थाने में विवाह की पूरी तैयारी शुरू हुई
सब इंस्पेक्टर मनोज तथा मनोज की प्रेमिका 20 वर्षीय वंदना महिला थाने में पहुंची यहां थाने की महिला पुलिस ने उस दौरान दूल्हे और दुल्हन को सजाया एसटीएससी थाने की पुलिस ने दूल्हे को सहरा भी पहनाया जिसके बाद दोनों ने बाबा भीमराव अंबेडकर को साक्षी मानकर विवाह पूरा किया.
इसी बीच दूल्हे ने दुल्हन की मांग भरी और विवाह बंधन में बंध गए महिला थाने में पुलिस और sc-st पुलिस के जवानों ने दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद भी दिया और सभी ने सगुन तोहफा भी दिया थाने में खुशी के माहौल के बीच मिठाइयां भी बांटी गई तथा जश्न मनाया गया
दुल्हन ने कहा मैं बहुत खुश हूं। एसटीएससी थाने के अधिकारी महेश राम ने मीडिया को बताया कि भागलपुर की महिला थाने में दोनों पक्ष की रजामंदी से विवाह हुआ इस दौरान मिठाई बांटी गई पहली बार अंबेडकर की विचारधारा के तहत महिला थाने में इस तरह का विवाह हुआ है यह ऐसी अनोखी शादी है जहां दुल्हन बदना ने कहा कि हम दोनों राजी खुशी से महिला थाने में संविधान निर्माता को साक्षी मानकर विवाह किया जिससे मैं बहुत खुश हूं
वही दूल्हे मनोज ने मीडिया को बताया कि जब अंबेडकर के विचार को पढ़ा तब समझ आया कि मुझे इनकी प्रेरणा मिली, तभी मैंने यह सोचा था कि जब भीम विवाह करूंगा तो बिना दान दहेज की करूंगा अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊंगा तभी विवाह करूंगा आज हम दोनों ने एक दूसरे से बाबा अंबेडकर को साक्षी मानकर विवाह कर ली
वही दूल्हा मनोज ने कहा कि मुझे बहुत ही खुशी है मैंने भागलपुर में महिला थाने में विवाह किया इसकी नौबत इसलिए आई कि अभी-अभी समाज में अंतर जाति विवाह को लोग गलत समझते हैं. हेय दृष्टि से देखते हैं. दहेज लेन-देन करते हैं .तथा इस मिथ्या को खत्म करने के लिए मैंने महिला थाने में आकर विवाह किया हम दोनों इस अंतर जाति विवाह से बेहद खुश हैं. हालांकि मनोज ने पहले विवाह करने से मना कर दिया था जिस को पीछे छोड़ने के लिए उसने अंतर जाति एवं दहेज को बीच में लाकर उस बात को पीछे छोड़ दिया, नहीं तो प्रेमिका पुलिस अधीक्षकों के दफ्तरों के चक्कर काट रही थी।