ब्राह्मण कुल आज भी माता लक्ष्मी के दिए एक श्राप से गुजर रहा, जानिए क्यों माता लक्ष्मी ने दिया था श्राप
ब्राह्मण कुल आज भी माता लक्ष्मी के दिए एक श्राप से गुजर रहा, जानिए क्यों माता लक्ष्मी ने दिया था श्राप
पौराणिक कथाओं के अनुसार लाखो वर्ष पहले एक घटना हुई। जहां ब्राह्मण को भगवान भी अपना गुरु मानते थे। आपको ज्ञात हो कि महर्षि भृगु उन्हीं में से एक थे। एक बार ऋषि मुनियों में एक जुबानी बहस छिड़ गई सभी ने कहा कि त्रिदेवों की परीक्षा ली जाए जिसके लिए महर्षि भृगु को भेजा गया। प्राचीन काल से ही भक्त और भगवान के बीच एक मधुर संबंध रहा है। भक्त सोचता है कि भगवान बड़े हैं और भगवान सोचता है कि भक्त ही सब कुछ है। कई ऐसे भक्तों की पौराणिक कहानियां अभी भी मौजूद है जैसे- प्रहलाद ,शिरोमणि मीरा,दैत्य राज बली , रावण, पर आपने ऐसे भक्त के बारे में कभी ही सुना होगा कि श्री हरि विष्णु के छाती पर लात मारी थी।
महर्षि भृगु ने मारी थी श्री हरि विष्णु के छाती लात
महर्षि भृगु जब त्रिवेदों की परीक्षा लेने बारी-बारी सब के पास पहुंच रहे थे अंत में वह श्री हरि विष्णु बैकुंठ धाम पहुंचे, जब वहां पहुंचे तो श्री हरि विष्णु मुद्रा अवस्था में थे। और महर्षि का जब स्वागत नहीं हुआ जिससे वह क्रोध में हो गए, क्रोधित होने के बाद वह श्री हरि विष्णु के छाती पर लात मार दी, तब श्री हरि की आंखें खुली वह उठ खड़े हुऐ और प्रणाम किए, फिर नारायण भगवान भृगु से पूछते है कि – हे प्रभु मैं कितना दुर्भाग्यशाली हूं। मेरे द्वार पर खुद त्रिदेव प्रभु है। और मैं निद्रा में लीन था, मुझे क्षमा करें, यह देख भृगु की आंखे छलक पड़ी और श्री हरि को अपने गले से लगा लिए, तब उन्हें ज्ञात हुआ कि श्री हरि विष्णु सर्वश्रेष्ठ त्रिदेवों में से एक है,
क्यों माता लक्ष्मी ने दिया था श्राप
जब महर्षि भृगु ने श्री हरि विष्णु के छाती पर लात मारी थी उस समय माता लक्ष्मी वहां मौजूद थी उन्होंने यह सब देखा और वह क्रोधित हो गई, जिसके बाद भृगु को वो श्राप मिला जो ब्राह्मण समुदाय के वेदपाठी और अन्य अंग श्राप को जी रहे है। माता लक्ष्मी ने श्राप देते हुऐ कहा, जिस हृदय में मैं वास करती हूं। आपने वहा प्रहार किया है। इस लिए मैं श्राप देती हूं। शक्ति ज्ञान होते हुऐ भी ब्राह्मण निर्धन रहेगा वहां कभी लक्ष्मी का वास नहीं होगा,