Mauganj News: मऊगंज जिले के हनुमना नगर से 20 किलोमीटर पूर्व में पांती मिश्रान की घाटियों में एक ऐसा स्थान है जिसे जानने के बाद हर कोई हैरान हो जाता है। दरअसल, ये जगह वन विभाग के अंतर्गत आता है। इस स्थान को लोग ‘ आमा -दरी ‘ के नाम से जानते है। यहां भगवान हनुमान और कुलदेवी विराजमान है। मकर संक्रांति से लेकर वसंतपंचमी अन्य पर्वों पर यहां मेला लगता है। इस स्थान को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यहां एक ऐसा कुंड है जिसमे 12 खटिया की बाध (सूत) का पता नही चलता यहां पानी कहा से आता है ये किसीको पता नही ,लेकिन यहां के पानी से अदवांचल सिंचित होता है। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी की पूजा यहां रहने वाले साधु करते है और साधु को आजतक जुज्बी लोगों ने ही देखा है
इस जंगल में कहा से आता है पानी
आमादरी को लेकर ऐसा हमेशा से कहा जाता है कि इस वन में जहा सुखी मिट्टी और पत्थर के अलावा कुछ नही मिलना चाहिए. पहाड़ के ऊपर गांवो में जहा धरती के 300 मीटर अंदर पानी मिलता , वहा इतना सारा पानी जिससे पहाड़ के नीचे के गांवो को लाभ पहुंचता है ये पानी आता कहा से है?. लोग बताते है कि ये पानी धीरे धीरे ही निकलता है। लेकिन चाहे ठंडी हो या गर्मी सभी मौसम में पानी निकलता है. आपको बतादें कि ये स्थान जहां स्थित है वहा दूर – दूर तक जल का कोई साधन नजर नही आता। ये दिव्य स्थान है जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
12 खटिया की बाध हो जाती है गायब
आमादरी में एक ऐसा कुंड है। जिसको लेकर कहा जाता है कि इसमें 12 खटिया की बाँध (सूत) नीचे तक नही जाता यानी कि ये कुंड बहुत गहरा है। फिलहाल इस कुंड को लेकर ऐसी चर्चा है।
बहुत सारा है खजाना
आमादरी को पानी और प्राकृतिक सुंदरता को लेकर जाना है, लेकिन ऐसी भी चर्चा है कि इस स्थान पर बहुत सारा खजाना भी दबाया गया है। हालाकि ऐसी बातें ग्रामीणों के द्वारा की जाती है। फिलहाल आमादरी को लेकर कभी ऐसी खोज नही की गई
आमादरी में लगता है मेला
ग्रामीणों की माने तो आमादरी में बड़े पर्व में मेले का आयोजन होता है। मकर संक्रांति और वसंत पंचमी एवं अन्य पर्व में यहा स्थानी मेले का आयोजन करते है। यहां के ग्रामीणों की हमेशा मांग रही है कि इस स्थान को मऊगंज पर्यटक स्थल माना जाए और सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए