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देश में पहली बार किसी ‘मुख्यमंत्री ‘ नेता के खिलाफ़ हुई कार्रवाई, आबकारी नीति घोटाले में हाहाकार

Delhi CM Arvind Kejriwal Arrested:  भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष से अपना राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले इंडिया अगेंस्ट करप्शन के संयोजक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के आरोप में अब गिरफ्तार हो चुके हैं. आबकारी घोटाले मामले में सरकार के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी होने के 390 दिन बाद अरविंद केजरीवाल को भी इसी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने बृहस्पतिवार की रात गिरफ्तार किया है। 2 घंटे पहले तक अरविन्द  के आवास पर तलाशी ली और उनका मोबाइल फोन जप्त कर पूछताछ की

ईडी के सीएम आवास पहुंचने की जानकारी मिलते ही वहां पहुंची दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने केजरीवाल के गिरफ्तारी के बाद कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगे. सीएम बने रहेंगे और जेल से सरकार चलाएंगे. राजनीति के विशेषज्ञों की माने तो केजरीवाल गिरफ्तार होने वाले देश के पहले सीएम है. इससे पहले देश के किसी भी राज्य में ऐसा नहीं हुआ है जब मुख्यमंत्री के पद पर बैठे किसी राजनेता को गिरफ्तार किया गया हो

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मीडिया सूत्रों की माने तो सीएम के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है साथ ही ऐसा प्रयास किया गया है कि शीर्ष अदालत शुक्रवार सुबह इस मामले को सबसे पहले सुन ले. क्योंकि सिर्फ अदालत का सप्ताह का अंतिम कार्य दिवस और शनिवार रविवार के बाद होली की छुट्टी हो जाएगी यह पहला मौका है जब केजरीवाल के आवास पर ईडी पहुंची

क्या है नई आबकारी नीति घोटाला…

दिल्ली सरकार में 17 नवंबर 2021 को नई अवकारी नीति को लागू करके सरकार के राजस्व में इजाफा होने का दावा किया था इसके बाद जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने कार्य नीति में अनियमता होने के संबंध में एक रिपोर्ट उप राज्यपाल बीके सक्सेना को दी थी। इस नीति में गड़बड़ी होने के साथ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारी को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था

रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने कई आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में नियमों का उल्लंघन और प्रक्रियात्मक कमियों को हवाला देकर 22 जुलाई 2022 को सीबीआई जांच की मांग की थी. जिस पर सीबीआई ने प्राथमिक की और इस प्राथमिक  के आधार पर ED ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। सीबीआई और ED का आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमित की गई थी और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया था

इससे लाइसेंस शुल्क माफ किया गया था इस नीति से सरकारी खजाने को करीब एक 144.36 करोड रुपए का नुकसान हुआ मामले में जांच की सिफारिश करने के बाद 30 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार के नई आबकारी नीति को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बदहाल कर दी थी

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