अतिथि विद्वानों की पंचायत सीएम हाउस में हुई एक बैठक से उम्मीद थी और उस पर बाकायदा घोषणा भी हुई. जिसको कैबिनेट में भी मंजूरी दी गई अतिथि विद्वानों का मूल वेतन ₹50000 तथा रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष बाहर नहीं होगी. वर्तमान में शासन के कर्मचारी हुए अतिथि विद्वान पर जब विभागीय आदेश जारी हुआ तो ठीक इसका उल्टा हो गया. अतिथि विद्वानों को यकीन नहीं हो रहा है कि बीते 4 वर्ष से सीएम शिवराज सिंह चौहान की घोषणाओं कैबिनेट के फैसले की अवहेलना कैसे विभाग कर रहा है. अतिथि विद्वानों से फिरकी कौन ले रहा इन सबको लेकर वह काफी हतोत्साहित हैं.
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अतिथि विद्वानों के सपनों में फिर,फिरा पानी
अतिथि विद्वानों के लिए बाकायदा पॉइंट टू पॉइंट समझाते हुए सीएम शिवराज की घोषणा क्या थी और उच्च शिक्षा विभाग ने क्या जारी किया
1. अतिथि विद्वानों को हर माह ₹50000 फिक्स वेतन दिया जाएगा और दिहाड़ी से मिलेगा छुटकारा
घोषणा की अवहेलना
दिहाड़ी 1500 में 500 बढ़कर वेतन नहीं दिहाड़ी मजदूरी का आदेश निकला
2. अतिथि विद्वानों की सेवा रहेगी जारी नहीं होंगे फालेंन आउट
अवहेलना
अतिथि विद्वान के ट्रांसफर पोस्टिंग से किया जाएगा फालेंन आउट, सर्विस नहीं रहेगी जारी
3. अतिथि विद्वानों को आज से शासन के कर्मचारी हर सुविधा मिलेगी
अवहेलना
किसी भी तरीके से अतिथि विद्वान शासन के कर्मचारी नहीं माने जाएंगे और इन्हें किसी भी सुविधा का लाभ नहीं दिया जाएगा.
भोपाल समाचार की माने तो उन्होंने कहा कि आखिर झूठ कौन बोल रहा है? सीएम की घोषणाओं पर कोई अमल आखिर क्यों नहीं किया जा रहा. इसी विषय को लेकर अतिथि विद्वानों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है. अतिथि विद्वानों के साथ पूरा परिवार और लाखों करोड़ों युवा वोटर विद्यार्थियों की बड़ी फौज है. जो निर्णायक भूमिका में नजर आने वाले चुनाव में निभायेंगे
अतिथि विद्वान महासंघ के डॉक्टर देवराज सिंह ने मिडिया से बताया कि अतिथि विद्वान सहित पूरे प्रदेश में यह चर्चा का विषय बना हुआ है चार बार सीएम शिवराज जी ने घोषणाएं की पर उसका उल्टा विरोध आदेश जारी किया गया जो बेहद निराशाजनक है. बीजेपी सरकार से विनती है इस पर तत्काल संशोधित करें और आदेश जारी कर अपनी घोषणाओं की विश्वसनीयता बनाए रखें. अतिथि विद्वान मध्य प्रदेश का मूल निवासी है तथा योग्य है और उसे न्याय चाहिए
मीडिया प्रभारी अतिथि विद्वान महासंघ के डॉ आशीष पांडे का कहना है कि अतिथि विद्वान ने सरकार की हर चौखट पर मत्था टेका पर वहां से उनको कोई राहत नहीं मिली. बड़े ताज्जुब की बात है कि मुख्यमंत्री के इस फैसले और घोषणाओं पर किसी भी तरह का अमल नहीं किया गया. उच्च शिक्षा विभाग में जो आदेश जारी किया वह सीएम शिवराज की घोषणाओं तथा कैबिनेट के फैसले का उलट है.