सामाजिक समरसता के पुरोधा थे डाॅ आंबेडकर – डाॅ० जितेन्द्र

कठिन तपस्या करके उन्होंने शिक्षा अर्जित की और समाज परिवर्तन के लिए जीवन खपा दिया। आज हमें उनके विचारों पर आगे बढ़ते हुए समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के उत्थान हेतु कार्य करने की आवश्यकता है।

वाराणसी से कार्तिक।। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मालवीय नगर विद्यार्थी विभाग द्वारा बीएचयू के सरदार वल्लभभाई पटेल छात्रावास में शुक्रवार को डाॅ० भीमराव आंबेडकर जयंती पर संगोष्ठी आयोजित की गयी। जिसमें मुख्य वक्ता बीएचयू अंबेडकर चेयर के असिस्टेंट प्रोफेसर जितेंद्र जी ने कहा कि डाॅ० आंबेडकर सामाजिक समरसता के पुरोधा थे।

कठिन तपस्या करके उन्होंने शिक्षा अर्जित की और समाज परिवर्तन के लिए जीवन खपा दिया। आज हमें उनके विचारों पर आगे बढ़ते हुए समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के उत्थान हेतु कार्य करने की आवश्यकता है।

अतिथि वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक राजेन्द्र जी ने कहा की डाॅ० आंबेडकर ने संघ के प्रशिक्षण वर्ग में आकर हर जाति के स्वयंसेवकों को एक साथ भोजन करते देखकर स्वयं यह महसूस किया था की संघ जातिभेद को दूर करने के लिए प्रयासरत है। अतः वे जीवनभर संघ के समर्थक रहे।

आज संघ के स्वयंसेवकों द्वारा उनके विचारों को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। साथ ही हमने अपने एकात्मता मंत्र में भी उन्हें स्थान दिया है‌।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संसद भवन, नई दिल्ली में शोध सहायक अभिजीत जी ने कहा की डाॅ० आंबेडकर के विचारों को आत्मसात करके ही समरस समाज एवं आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को पूरा किया जा सकता है‌।

कार्यक्रम का संचालन रजनीश जी (शोध छात्र, दर्शनशास्त्र विभाग) ने किया। कार्यक्रम का समापन संघ की प्रार्थना के साथ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के छात्र उपस्थित रहे।

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