भारत में गुड़ की खेती विभिन्न राज्यों में की जाती है और अपने अपने राज्यों के अपने अपने स्वाद लोगों को परोसे जाते हैं गुड को स्वास्थ्य और आयुर्वेद के हिसाब से अमृत भी माना गया है गुड को गन्ने से बनाया जाता है पारंपरिक तौर पर गुड़ की खेती धीरे धीरे कम हो गई है, पर अभी अभी लोगो का रुझान गुड़ की तरफ रहता है, कहते है अगर सुबह खाली पेट गुड़ का सेवन करे तो कई तरह के रोगों से बचा जा सकता है, पर ऐसा तभी होगा जब इसमें कोई मिलावट ना हो , देखा गया है की बाजारों की ज्यादा से ज्यादा सामग्री मिलावट युक्त होती है। पर इन्हीं सब चीजों को पीछे छोड़ते हुए आज हम रीवा जिले के एक ऐसे क्षेत्र के बारे में आपको बता रहे हैं जहां गुड़ की पारंपरिक तौर पर खेती की जा रही है भले ही यहां के गुड़ बड़ी-बड़ी मंडियों में ना जाते हो पर आज भी लोग यहां के गुड़ के कायल है।
रीवा जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर व हनुमना तहसील मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश से सटे गांव जो आता तो मध्यप्रदेश में है परंतु इसी गांव से मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश की सीमाएं जुड़ी हुई हैं। वह है ग्राम बरही, बताया जाता है कि 1965 से गुड यहां बनाया जा रहा है, यहां के गुड़ की खासियत यह है कि यहां बिना कोई मिलावट और किसी अन्य सुविधा का इस्तेमाल नहीं किया जाता, यहां सिर्फ देसी तरीके से गुड़ को बनाया जाता है गुड़ के साथ-साथ बरही में खाड़, पिटौरा भी बनाया जाता है।
जानिए कब से बनाया जा रहा गुड़
कुछ जानकारों की मानें तो 1965 से ग्राम बरही में गुड़ बनाया जा रहा है पुराने समय से ही लोग पारंपरिक तरीके से गन्ने की खेती करते हैं और गुड़ बनाते हैं पर हम आपको इसके साथ ही यह भी बता दें कि यहां गुड़ बनाने की मात्रा सीमित ही है क्योंकि यहां का जल स्तर बहुत ही कम रहता है जिसके चलते गन्ने की पैदावार सही नहीं हो पाती जिसके वजह से गुड़ के की मात्रा में भी कमी आती है, यही कारण रहता है कि गन्ने की पैदावार कम होने से, मंडियों के हिसाब से नहीं बन पाते जिसके कारण यहां के लोग आज भी अपने गुणों को बड़ी बड़ी मंडियों पर नहीं उतार पाते पर इनके गुड़ बनाने के तरीके और गुड़ में शुद्धता को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगर सुविधाएं मिल जाए तो यह क्षेत्र गुड़ के नाम पर जिले का नाम रोशन करेगा।
कितने लोग बनाते है गुड़
जानकारी के अनुसार अगर कुछ वर्ष पीछे की बात करें तो लगभग 50 से 60 घर ऐसे थे जो गुड़ बनाते थे। पर जैसे जैसे समय बीतता गया और जल का स्तर कम होता गया जिससे गन्ने के पैदावार कम हुई ,इसके कारण आज लगभग दो दर्जन तक घर ही गुड़ बना पाते हैं।
यहां गन्ने से क्या क्या बनाया जाता है
बरही में गन्ने से गुड़, खाड़, पिटौरा बनाया जाता है। गर्मी के मौसम में खाड़ तो ठंडी के मौसम में पिटौरा को उत्तम माना जाता है। जिसको ध्यान में रखते है। गुड़ को बनाया जाता है, ठंडी के मौसम में गन्ने के पैदावार करने के बाद दिसंबर के अंत तक में गुड़ बनाने की प्रोसेस शुरू हो जाती है, देशी तकनीक से साफ स्वच्छ तरीके से गुड़ इत्यादि बनाया जाता है।
अब क्यों नही दिया जा रहा जोर
रीवा जिले के सबसे पूर्वांचल क्षेत्र है जो पहाड़ के समीप बसे हुए हैं जिससे यहां का जल स्त्रोत धीरे-धीरे बहुत ही कम हो रहा है अभी भी यहां 4-5सौ फीट की खनन करने में पानी मिलता है जिससे सिंचाई बराबर नहीं हो पाती गन्ने के साथ-साथ अन्य फसलें भी यहां प्रभावित होती है। यहां सबसे बड़ी समस्या जल की ही मानी गई है गर्मी के मौसम में पानी पीने के लिऐ संघर्ष चलता है, बरसात का माह अगर छोड़ दे तो बाकी महीनो में पानी की बड़ी समस्या बनी रहती है।