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रीवा के प्रसन्न ने की देश की रक्षा, फिर बने पटवारी देश के गद्दारों ने ली जान, घर गांव में पसरा मातम

Shahdol patwari Murder case: मध्य प्रदेश में माफियाओं के हौसले बुलंद हैं यही वजह है कि ना तो प्रशासन पर हमला करने से रुकते और ना ही उनकी हत्या करने के पहले सोचते. बीते कुछ दिन पहले शहडोल जिले के ब्यौहारी में गस्त कर रहे एक पटवारी की रेत माफियाओं ने ट्रैक्टर से कुचलकर निर्मम हत्या कर दी. जबकि पटवारी ने पहले ही प्रशासन से खतरे का संदेह जताया था ,लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं की गई. हादसे के बाद पटवारी प्रसन्न सिंह के परिवार सदमे में है और पूरे गांव में गम की लहर छाई हुई है. तो वहीं पक्ष और विपक्ष दोनों ही इस घटना को लेकर प्रश्न खड़े कर रहे

आपको बता दें रीवा जिले के बरौ गांव मे जन्मे प्रसन्न सिंह 16 वर्षों तक भारतीय सेना में रहकर सरहद से देश की रक्षा की वर्ष 2017 में वह रिटायर होने के बाद पटवारी की नौकरी में लग गए. अनूपपुर के बाद वह शहडोल में तैनात होकर सोन नदी के तट पर रहे एवं अवैध उत्खनन को रोकने के लिए उन्हें मुस्तैद किया गया. शनिवार को बीती रात रेत माफियाओं को पकड़ने के लिए ब्यौहारी में दविश दी जहां प्रसन्न सिंह पर हमला हो गया माफियाओं ने ट्रैक्टर से कुचलकर उनके निर्मम हत्या कर दी

पूरी खबर नीचे है…

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प्रसन्न सिंह को पहले ही खतरा महसूस हुआ था

जिस क्षेत्र में पटवारी की हत्या हुई उस इलाके में लंबे अरसे से अवैध उत्खनन हो रहा था. इस क्षेत्र में पहले भी माफियाओं ने एक SI पर हमला किया था. खतरे को जानते हुए भी प्रशासन ने उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं कि। जिसके वजह से प्रसन्न सिंह की जान चली गई. मीडिया रिपोर्ट्स के माने तो मृतक ने पहले ही खतरे का अंदेशा था, उन्होंने अपने घर और दोस्तों को बताया था

पूरे गांव में पसरा मातम

पटवारी प्रसन्न सिंह की घटना के दिन दोपहर फोन पर बेटी से बात हुई थी। तब उन्होंने अपनी बेटी से रात को आने का वादा किया था, हमले के बाद भी प्रशासन ने प्रसन्न सिंह के परिजनों की खोज खबर लेने नहीं पहुंचा। मृतक पटवारी की दो बेटियां और जुड़वा छोटे-छोटे बच्चे हैं, इकलौते बेटे को गवा चुके महेंद्र सिंह बघेल का प्रशासन से भरोसा उठ चुका है पूरे गांव और घर वालों का यही कहना है की कितनी बड़ी हैरानी हैं कि प्रसन्न ने 16 साल तक देश की सेवा की और दुश्मनों से बचकर सकुशल अपने गांव लौट आए ,लेकिन अपने ही देश के गद्दारों से वह अपनी जान नहीं बचा पाए

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